घर गृहस्थी भाग _4
कहानी_ घर गृहस्थी
भाग _4
लेखक _ श्याम कुंवर भारती
प्रदीप और ज्योत्सना में दोस्ती बढ़ती गई।दोनो कॉलेज के बाद भी बाहर आपस में मिलने जुलने लगे।दोनो कभी एक दूसरे का साथ नही छोड़ने की कसमें खाने लगे थे।
कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर प्रदीप एमबीए की पढ़ाई हेतु दूसरे कॉलेज में एडमिशन ले लिया और ज्योत्सना एक शिक्षिका बनना चाहती थी इसलिए उसने बीएड का कोर्स करना शुरू किया।
जहा एक तरफ ज्योत्सना अपनी पढ़ाई के साथ अपने घर और परिवार को भी पूरी जिम्मेवारी से संभालती थी वही दुसरी तरफ प्रदीप ठीक इसके विपरित घर की जिम्मेवारियो से हमेशा कतराता रहता था।इसके चलते उसे अपने पिता से डांट फटकार भी सुननी पड़ती थी।
अपनी पढ़ाई पूरी करके ज्योत्सना ने राज्य के शिक्षक भर्ती परीक्षा में भाग लिया सौभाग्य वस वो पास कर गई ।कुछ ही दिनों में नियमानुसार सारी प्रक्रिया पूरी कर के उसे एक शिक्षिका के रूप में नियुक्ति मिल गई ।
लेकिन प्रदीप ने अपनी पढ़ाई पूरी कर नौकरी के लिए बहुत कोशिश किया ।हर जगह से उसे निराशा ही मिल रही थी ।
उसके पिता ने कहा _ बेटा अब मुझे और तुम्हारी मां को आराम की जरूरत है। जल्दी कही नौकरी ढूंढ लो ताकि तुम्हारा विवाह भी कर दूं और तुम्हारी मां को भी आराम मिले ।अब उससे घर का काम नहीं होता।तुम्हारे भाई और बहन की पढ़ाई अभी चल रही है लेकिन आगे कैसे होगी सोचो।
प्रदीप झल्ला गया ।कोशिश कर रहा हूं पापा ।आप मुझे ज्यादा परेशान मत कीजिए।
एक दिन उसकी मां रसोई घर में चकरा कर गिर गई।सिर पर काफी चोट लग गई।काफी खून बहने लगा था। घर में उसके भाई बहन थे । पिता की ऑफिस में थे।
प्रदीप एक नौकरी के लिए साक्षात्कार देने गया हुआ था।अभी उसका साक्षात्कार चल ही रहा था तभी उसके भाई का उसकी मां के बारे में फोन आया।फोन साइलेंट मोड में था।इसलिए आवाज तो नही हुई लेकिन उसने देख लिया उसके भाई का फोन था।उसने फोन नही उठाया।
वो अपना इंटरबियू देता रहा।तभी उसके भाई का मेसेज आया मां रसोई घर में गिर गई है। सिर से खून बह रहा है।
वो बिचलित हो गया।उसने कंपनी के अधिकारियो से कहा _ देखिए मेरी मां को चोट लग गई है ।मुझे जितना जवाब देना था दे चुका हूं।अब मुझे घर जाना है ।
लेकिन तुम्हारा इंटरबियु अभी पूरा नहीं हुआ है एक अधिकारी ने कहा।
माफ करे सर मेरी मां की जान खतरे में है ।मेरे लिए मेरी मां की जिंदगी सबसे जरूरी है।नौकरी का क्या कभी भी मिल सकती है लेकिन मां दुबारा नहीं मिलेगी।अब मैं चलता हूं। इतना कहकर प्रदीप वहा से उठकर बाहर निकल गया ।सब लोग उसे देखते रह गए।
बाहर निकल कर उसने अपने भाई को फोन कर कहा _ तुम जल्दी से कोई रिक्शा मंगा लो और जल्दी अस्पताल लेकर चलो मैं भी वही आ रहा हूं।मैं के सिर पर कोई कपड़ा बांध दो ताकि खून बहना बंद हो जाए।
प्रदीप जब अस्पताल पहुंचा ।उसकी मां बेहोसी की हाल में थी।उसके सिर पर पट्टी बंधी हुई थी।डॉक्टर ने कहा काफी खून बह चुका है।इनको खून चढ़ाना पड़ेगा।आप पैसे जमा कर दे जल्दी करे।
अपनी मां का हाल देखकर उसकी आंखे भर आई।उसका दिल फटा जा रहा था।उसने पैसा जमा कर दिया ।इलाज शुरू हो गया था ।
उसने अपने भाई बहन को घर भेज दिया खुद वही रुक गया। खाना भी नही खाया ।उसे खाया ही नही गया।शाम को उसके पिता अस्पताल पहुंचे ।अपनी पत्नी की खबर सुनकर वो घवाड़ा गए थे।ऑफिस से सीधे अस्पताल पहुंच गए थे।जितना उनको प्रदीप की मां का हाल देखकर दुख हुआ ।उतनी ही खुशी उन्हे अपने बेटे प्रदीप पर हुई जिसने अपने बेटे का फर्ज निभाया था।अपनी मां के लिए अपना इंटरबियू छोड़ दिया था।
बड़ी मुश्किल से उन्होंने उसे खाना खिलाया ।वे रात में वही रुक गए और प्रदीप को घर संभालने हेतु घर भेज दिया ।
कुछ दिनों बाद उसकी मां ठीक होकर घर आ गई ।
लेकिन अब वो पहले की तरह घर का काम नही कर पाती थी।प्रदीप की बहन किसी तरह उसका हाथ बंटाती थी।लेकिन उसकी पढ़ाई में व्यवधान होता था।इसलिए प्रदीप खुद ही घर का काम संभालने लगा।
नौकरी नही मिलने से उसकी दोस्त ज्योत्सना बहुत नाराज थी उससे ।
उसने कहा _ देखो प्रदीप मेरे घर में मेरी शादी की बात चल रही है।लेकिन अगर तुम्हे नौकरी नही मिली तो वे लोग तुम्हारे साथ मेरा विवाह नही करेंगे ।मेरी नौकरी लग चुकी है इसलिए मेरे घर में सबको मेरी शादी की चिंता हो रही है।
उनके दबाव के आगे मैं मजबूर हो जाऊंगी ।लेकिन प्रदीप को नौकरी नही लगी ।ज्योत्सना ने अपने घर वालो की पसंद से एक सरकारी नौकरी वाले लड़के के साथ अपना विवाह कर लिया।यह देखकर प्रदीप बहुत ही दुखी हुआ ।उससे ऐसी उम्मीद नहीं थी ।एक तो बेरोजगारी ऊपर से ज्योत्सना की बेवफाई ने उसे अंदर से तोड़ दिया।
शेष अगले भाग _ 5 में
लेखक_
श्याम कुंवर भारती
बोकारो, झारखंड
मॉब.9955509286
Mohammed urooj khan
16-Apr-2024 12:15 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Gunjan Kamal
11-Apr-2024 03:53 PM
👌🏻👏🏻
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Varsha_Upadhyay
10-Apr-2024 11:45 PM
Nice
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